उत्तर-प्रदेश

रत्नों से व्यक्ति के जीवन में लाते हैं बदलाव । विश्व रत्न सम्मान से सम्मानित हुये शाहजी।

शाहजी ! रत्नों से व्यक्ति के जीवन में लाते हैं बदलाव ।
विश्व रत्न सम्मान से सम्मानित हुये शाहजी।

समाज सेवा और जरूरतमंदों की मदद की मुहिम के चलते कहीं ना कहीं उनके हाथों की लकीरों और सितारों की गर्दिशों के तालमेल के अध्ययन से शाहजी ने एक ऐसा तंत्र तैयार किया है जिससे समाज के सभी वर्गों के लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए उनके पास कतारों में खड़े दिखाई देते हैं। हस्तरेखा विज्ञान, जन्म कुंडली और रत्नों के ज्ञान को सीखने के बाद शाही जी समाज के सभी धर्म के लोगों को अपनी प्रतिभा और ईश्वर की रहमत से मिले अदभुत चमत्कार को समाजसेवा के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इस काम को करने में उन्हें दुश्वारियां नहीं आई अपने ही समाज के लोगों से कई तरह की बातें भी सुनाई गयी लेकिन शाहजी का कहना है कि ज्योतिषी का संबंध किसी जाति या धर्म से नहीं हो सकता बल्कि कहीं ना कहीं एक ऐसी ताकत से है जिसके बारे में स्वयं मुस्लिम धर्म ग्रंथो में उल्लेख किया है और कुछ अदृश्य ताकतों का साथ में होने से उनके काम और ज्ञान में भरपूर मदद मिलती है।
रंग बिरंगे रत्न और पत्थर हमेशा से ही कौतुहल का विषय रहे हैं। कुछ लोग इसे चमत्कार से जोड़ते हैं तो कुछ अंधविश्वास से। रत्न चिकित्सा पद्धति में न केवल आमजन में बल्कि प्रबुद्ध वर्ग के लोगों में भी इसका खासा प्रभाव देखा गया है। ज्यादातर लोग रत्नों के वैज्ञानिक प्रभाव के विषय में कम जानते हैं।
रत्न ज्योतिष के अनुसार रत्न सिर्फ कुंडली के ग्रह दोषों को दूर करने के काम नहीं आते हैं, बल्कि इन्हें पहनने से कई तरह के रोगों से भी लड़ने की शक्ति मिलती है। दरअसल, आयुर्वेद में रत्नों की भस्म द्वारा रोग निवारण के अनेक प्रयोग बताए गए हैं। इसका वैज्ञानिक कारण रत्न में उपस्थित विशेष रासायनिक तत्व हैं। जब इन रत्नों को पहना जाता है तो शरीर पर इनका स्पर्श होता है और लगातार इनमें मौजूद रासायनिक तत्वों के संपर्क में आने से रोग खत्म होते हैं। इसके अलावा सीधे तौर पर इनकी भस्म का सेवन कर लिया जाए तो रोग को जड़ से खत्म किया जा सकता है। माणिक्य रत्न धारण से सिर, हृदय, पेट और नेत्रों को से संबन्धित रोगों मे लाभ होता है । यदि किसी व्यक्ति को ब्लड प्रेशर, पीठ दर्द, कान से जुड़ी या मधुमेह की समस्या हो तो उसे माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए।
रत्त्नों द्वारा विभिन्न समस्याओं का समाधान एवं अनेक रोगों का उपचार प्राप्त होता है. लेकिन रत्न धारण के पहले कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखना बहुच जरूरी हो जाता है. प्रत्येक व्यक्ति की जन्मकालिक ग्रह स्थितियों के अनुसार, जन्मलग्न के अनुसार, किसी भी शुभ भाव के कारक ग्रह को मजबूत करने के लिए रत्न धारण किया जाता है. जन्मकुंडली में नीच राशि में स्थित ग्रह से संबंधित रत्न कभी नहीं पहनना चाहिए. अलग-अलग व्यक्ति के लिए उसके अनुसार रत्नों की सलाह दी जाती है. कभी भी किसी अन्य व्यक्ति की सफलता से प्रभावित होकर उसका अनुसरण करते हुए वही रत्न नहीं पहनना चाहिए, जो उसने पहन रखे हों. इससे लाभ के बजाए हानि हो सकती है. रत्न पहनने से पहले इसकी जानकारी शाहजी से प्राप्त करना जरुरी है। शाहजी का कहना है कि कई बार लोग सस्ते के चक्कर में दोषी रत्न खरीद लेते हैं जबकि अच्छी क्वालिटी के रत्न हमेशा महंगे ही मिलते हैं और रत्न की सार्थकता तभी है जब वह रत्न लाभकारी सिद्ध हो।

Lahar Ujala

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