उत्तर-प्रदेश

दिवाली के अवसर पर लौटी पटाखे की बाजारों में रौनक

दीपों का त्योहार दीपावली नजदीक है. इस समय बाजारों में

खास इंतजाम किए जा रहे हैं. बाजार सजने लगा है,
इसी क्रम में काकोरी सलेमपुर स्थित पटाखों के थोक बाजार से

फायरवर्क डीलर वेलफेयर एसोशिएशन के महामंत्री सतीश चंद्र प्रोपराइटर अवध फायर वर्क ने बताया कि अब पटाखे मार्केट में इतना ज्यादा उत्साह नहीं देखने को मिलता लोगों के लिए पटाखे फोड़ना अब एक औपचारिकता मात्र रह गई है जिससे हम पटाखा व्यापारियों को काफी निराशा है हम अपनी तरीके से पूरी कोशिश करते हैं कि उन पटाखों को लाए जिससे पर्यावरण को कम नुकसान ना हो लेकिन अभी भी युवाओं में पहले जैसे पटाखे जलाने का उत्साह नहीं है। उन्होने ने बताया
कि उनके द्वारा सभी सुरक्षा के इंतजाम के साथ बाजारों में ले जाने के लिए पटाखे पूरी तरीके से तैयार हैं फुटकर व्यापारियों द्वारा यहां पर पटाखे की खरीदारी की जाती है इसके साथ ही इस वक्त ज्यादातर लोग ग्रीन पटाखे लेना पसंद कर रहे हैं जिससे प्रदूषण काम होता है पर पटाखे की ढेर सारी वैरायटी
यहां पर उपलब्ध मिलेगी विशेष तौर पर पटाखों के गिफ्ट पैक भी
काफी चलन में आ गए हैं।

*क्या होते हैं ग्रीन पटाखे*

सुप्रीम कोर्ट ने तय सीमा में आवाज और धुंए वाले पटाखों को ही ग्रीन यानी इको फ्रेंडली पटाखा माना है। ग्रीन पटाखे देखने, जलने और आवाज में सामान्य पटाखों की तरह होते है। लेकिन इनसे प्रदूषण कम होता है। इनमें नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड की कम मात्रा इस्तेमाल होती है। सामान्य पटाखों की तुलना में इन्हें जलाने पर 40 से 50 प्रतिशत तक कम हानिकारक गैस पैदा होती है। पटाखों के डिब्बों पर नीरी का हरे रंग का लोगों एवं क्यू आर कोड होता है, जिसे स्केन कर ग्रीन पटाखों की पहचान की जा सकती है।

ग्रीन पटाखों से कम फैलता है प्रदूषण ग्रीन पटाखों से प्रदूषण अन्य सामान्य पटाखों की तुलना में कम होता है। ग्रीन पटाखों से अन्य पटाखों ग्रीन श्रेणी में आने वाले पटाखों के लिए उत्पादक को एक सर्टिफिकेट नीरी द्वारा दिया जाता है।

Lahar Ujala

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