चाय बेचने से डिप्टी सीएम की कुर्सी का आसान नहीं था सफर
- सीएम योगी की दूसरी पारी के सरकार के डिप्टी सीएम बने केशव मौर्य
- सिराथू सीट से चुनाव हारे फिर भी मिला ताज
कौशांबी। यूपी की सत्ता में दूसरी बार डिप्टी सीएम का ताज पाने वाले केशव प्रसाद मौर्य का बचपन और किशोरावस्था संघर्ष से सफलता की कहानी कहता है। राजधानी से 200 किलोमीटर दूर बसे पिछड़े जिले कौशांबी की छोटी सी विधानसभा सिराथू के कस्बे में एक किसान परिवार के घर केशव मौर्य का जन्म 53 साल पहले हुआ था। पिता खेती के अलावा चाय की दुकान कस्बे में चलाते थे। जिसमें केशव मौर्य अपने बचपन में चाय और अख़बार बेचा करते थे। बुनियादी पढ़ाई पूरी कर वह प्रयागराज पहुंचे। जहां से उन्होंने विहिप नेता स्व. अशोक सिंघल के संरक्षण में राजनैतिक सामाजिक जीवन का ककहरा सीखा। 2017 में भाजपा की प्रचंड जीत का ताज दिलाने का श्रेय केशव प्रसाद मौर्य के नाम दर्ज है। हालांकि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में केशव मौर्य के राजनैतिक कैरियर में हार का काला बिन्दु लग गया है।
डिप्टी सीएम केशव मौर्य का राजनीतिक कैरियर भले ही 20 वर्षों का ही हो, लेकिन सामाजिक जीवन लंबे समय से वह काफी कम उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व विश्व हिंदू परिषद (बजरंग दल) से जुड़ गए थे। उन्होंने आरएसएस में नगर कार्यवाह के तौर पर काम किया। जिसमें वह प्रांत संगठन मंत्री सहित अन्य पदों पर रहे। गौरक्षा आंदोलन, राम जन्मभूमि आंदोलन में उन्होंने सहभाग किया। भारतीय जनता पार्टी में केशव प्रसाद मौर्य काशी क्षेत्र के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के कोऑर्डिनेटर भी रहे।
प्रदेश की सियासत में केशव प्रसाद मौर्य को ओबीसी वर्ग का एक बड़ा चेहरा माना जाता है। मौजूदा समय में उपमुख्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूसरी पारी में भी उन्हें डिप्टी सीएम के ताज से नवाजा गया है। केशव प्रसाद मौर्य का जन्म 7 मई 1969 को कौशांबी जिले के सिराथू में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता स्वर्गीय श्यामलाल मौर्य और मां धनपति देवी हैं। उन्होंने प्रयागराज के हिंदी साहित्य सम्मेलन से 1997 में उत्तमा की डिग्री ली है। पढ़ाई के दौरान उन्होंने चाय व अखबार भी बेचने का काम किया था। केशव प्रसाद मौर्य की पत्नी राजकुमारी देवी है, और उनके दो बच्चे हैं।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का राजनीतिक सफर साल 2002 में शुरू होता है। जिसमें उन्होंने शहर पश्चिमी से पहली बार विधानसभा चुनाव में जिसमें वह हार गए। 2007 में भी उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। जिसमें हार का मुंह देखना पड़ा। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हे सिराथू सीट से बतौर उम्मीदवार उतारा। यहां पर केशव प्रसाद मौर्य जीत हासिल कर बीजेपी का पहला कमल खिलाया। इसके बाद 2014 में वह फूलपुर से सांसद, व 2017 में वह भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और सरकार में उप मुख्यमंत्री बने। 2022 के चुनाव में एक बार फिर योगी सरकार ने उन पर भरोसा जताया। जिसकी खुशी में उनके समर्थक खुश होकर एक दूसरे को मिठाइयां खिला रहे हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव में वह विधानसभा चुनाव में जीत हासिल नहीं कर सके। जिसका मलाल उन्हे हमेशा रहेगा।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने हालिया चुनाव में दाखिल हलफनामे में बताया है कि उनके पास करोड़ों की संपत्ति है। वह निजी कंपनी के डायरेक्टर और प्रोपराइटर हैं। जो उनकी आमदनी के स्रोत हैं। इसके अलावा केशव प्रसाद मौर्य पूर्व सांसद के तौर पर पेंशन व उप मुख्यमंत्री के तौर पर मानदेय पाते हैं। डिप्टी केशव प्रसाद मौर्य ने चुनावी हलफनामे में बताया है कि उन पर अलग-अलग धाराओं में कुल 14 मामले चल रहे थे। जिसमें 7 मामलों में एफआर लग चुकी है, जबकि 7 मामले अब भी अदालतों में विचाराधीन है।