योगी सरकार में वाराणसी के दो विधायक रवींद्र और अनिल राजभर शामिल, पार्टी ने दोबारा जताया भरोसा
- बिना चुनाव लड़े ही दया शंकर मिश्र बनाये गये राज्यमंत्री, समर्थकों में हर्ष
वाराणसी। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने लगातार दूसरी बार शुक्रवार को राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भव्य समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके कैबिनेट के सहयोगियों को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। योगी सरकार के मंत्रिमंडल में वाराणसी के दो विधायकों शहर उत्तरी से लगातार तीसरी बार जीते रविन्द्र जायसवाल, शिवपुर से दूसरी बार जीते अनिल राजभर को दोबारा मौका दिया गया है। मंत्रिमंडल में वाराणसी के डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में शामिल कर चौकाने वाला निर्णय लिया गया है। डॉ. मिश्र पूर्वांचल में बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में जाने जाते हैं। उनके शालीन व्यवहार के विरोधी दलों के लोग भी कायल हैं।
रविन्द्र जायसवाल पर दोबारा जताया गया भरोसा
योगी मंत्रिमंडल में वाराणसी के शहर उत्तरी से जीत की हैट्रिक लगाने वाले रवींद्र जायसवाल (55) पर दोबारा भरोसा जताया गया है। उन्हें फिर राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद दिया गया है। मूल रूप से खोजवां भेलूपुर के निवासी रवींद्र लॉ और एम काम है। भाजपा से राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले रवींद्र के पिता और परिजन आरएसएस के सक्रिय पदाधिकारी रहे है। परिवार में पत्नी अंजू जायसवाल ,एक पुत्र और एक पुत्री हैं। पेशे से अधिवक्ता, कालेज और होटल संचालक रविन्द्र विधायक का वेतन नहीं लेते। रवींद्र जायसवाल की वैश्य बिरादरी और व्यापारियों के बीच अच्छी पकड़ देख कर उनका राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का ओहदा बरकरार रखा गया है। लोकसभा चुनाव 2024 को लक्ष्य कर ये फैसला लिया गया।
अनिल राजभर पूर्वांचल में राजभर समाज के बड़े चेहरा बने
शिवपुर विधानसभा से दूसरी बार जीते अनिल राजभर को योगी सरकार में फिर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। अनिल राजभर पिछली सरकार में भी कैबिनेट मंत्री थे। 05 फरवरी 1973 को जन्म लेने वाले अनिल मूल रूप से सकलडीहा चंदौली के निवासी हैं। भूगोल विषय से स्नातकोत्तर अनिल ने छात्र संघ अध्यक्ष बनकर राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 1994 में छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए थे। इसके बाद वह जिला पंचायत सदस्य बने। वर्ष 2003 में पिता रामजीत राजभर के देहांत के बाद अनिल उपचुनाव लड़े थे। लेकिन चुनाव हार गये थे। अनिल राजभर के पिता रामजीत राजभर भी भाजपा के टिकट पर धानापुर और चिरईगांव से विधायक रहे । इसके बाद अनिल राजभर 2014 में तब उत्तर प्रदेश के भाजपा प्रभारी अब गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में हजारों समर्थकों के साथ जनसभा में भाजपा में शामिल हो गये। जिले में अपनी सक्रियता बढ़ा और लगातार लोगों बीच रहे। साल 2017 के चुनाव में वह शिवपुर से विधायक चुने गये। और, फिर योगी सरकार में मंत्री बने। वह उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता भी रहे। सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर जब भाजपा गठबंधन से अलग हुए तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमलावर हुए तो अनिल राजभर हमलावर तेवर में पलटवार कर उनका जवाब देने लगे। यह देख भाजपा नेतृत्व ने भी उन पर भरोसा जताया जिस पर अनिल राजभर खरे उतरे। परिवार में पत्नी उषा राजभर,एक पुत्र और दो पुत्रियां हैं।
बिना चुनाव लड़े ही डॉ दयाशंकर राज्यमंत्री बनाये गये
योगी सरकार के चौकाने वाले निर्णय में वाराणसी के डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु बिना चुनाव लड़े ही राज्यमंत्री बनाये गये हैं। योगी सरकार के पहले कार्यकाल में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री रहे डॉ दयाशंकर मिश्र दयालु वनस्पति विज्ञान से स्नातकोत्तर और पीएचडी हैं। वर्तमान में वाराणसी डीएवी इंटर कालेज के प्रधानाचार्य हैं। कांग्रेस से राजनीतिक सफर की शुरुआत की। छात्र राजनीति और युवा कांग्रेस के कद्दावर नेता के रूप में उभरे और भाजपा को शहर दक्षिणी विधानसभा में दो बार कड़ी टक्कर दी। दूसरे स्थान पर चुनावों में रहे। कांग्रेस से मोहभंग होने के बाद 2014 में भाजपा में शामिल हुए। योगी सरकार के पहले कार्यकाल में पूर्वांचल विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष बनाये गये। परिवार में पत्नी सुकन्या मिश्र,इंजीनियर पुत्र और चिकित्सक पुत्री है। मूल रूप से सिधौना गाजीपुर के निवासी डॉ. मिश्र के पिता रेलवे में सेवारत रहे। वाराणसी सहित पूर्वांचल में दयालु गुरु के नाम से चर्चित है। पूर्वांचल के ब्राह्मण समाज में मिश्र की गहरी पैठ मानी जाती है। डॉ. मिश्र के राज्यमंत्री बनाये जाने पर समर्थकों में हर्ष की लहर दौड़ गई।