उत्तर-प्रदेश

गोरखपुर पहुंचे संघ प्रमुख ने किया गोरखनाथ मंदिर में पूजा

गोरखपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने तीन दिवसीय गोरखपुर प्रवास के क्रम में आज यानी कि मंगलवार को गोरखनाथ मंदिर पहुंचकर बाबा गोरखनाथ का दर्शन-पूजन कर उनका आशीर्वाद लिए. इस दौरान उन्होंने महंत अवैद्यनाथ के समाधि स्थल पर जाकर भी पुष्प अर्पित किया और राम मंदिर आंदोलन के इस प्रणेता को याद किया. उनके इस प्रवास का गोरखपुर में आज अंतिम दिन है और देर शाम 5 बजे संघ की ओर से आयोजित कुटुंब प्रबोधन कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद भागवत वाराणसी के लिए रवाना हो जाएंगे. इस कार्यक्रम में संघ के स्वयंसेवकों के अलावा विचार परिवार के लोग अपने परिवार के साथ शामिल होंगे और संघ प्रमुख का प्रबोधन सुनेंगे.

इसके पहले आज सुबह संघ प्रमुख ने गोरखपुर प्रांत की टोलीवार बैठक कर संघ के विस्तार और लोगों तक इसकी विशेष पहुंच बनाने के लिए टोली को जागरूक किया. वह शाखा विस्तार में अनुशासन के कायम रहने का सलाह पहले ही संघ पदाधिकारियों को दे चुके हैं. हर वर्ष नियमित प्रवास सम्पूर्ण देश मे संघ प्रमुख का होता रहता है. इसी क्रम में सरसंघचालक मोहन भागवत का तीन दिवसीय प्रवास गोरक्ष प्रान्त में गोरखपुर स्थित ‘माधव धाम’ में चल रहा. उन्होंने इस दौरान प्रान्त स्तर की विभिन्न छोटी-छोटी बैठकों को संबोधित करते हुए कार्य विस्तार, कार्यकर्ता विकास,समाजिक सद्भाव, समाजिक समरसता व पर्यावरण विषय पर चर्चा की.

उन्होंने पर्यावरण विषय पर विस्तृत चर्चा करते हुए पर्यावरण के असंतुलन व दुष्प्रभावों को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि पर्यावरण को संतुलित बनाना हम सभी का मौलिक दायित्व है. प्रशिक्षण से जागरूकता फैलाकर हमे पर्यावरण को संतुलित बनाने का प्रयास करना चाहिए. साथ ही उन्होंने स्वच्छता विषय पर भी ध्यान देते हुए कहा कि ग्रामीण,शहरी क्षेत्रों में साफ-सफाई बेहतर हो तो बीमारी नही घेरेगी. यह काम भी जागरूकता पर ही निर्भर करता है. इसलिए हमे जागरूक करके पर्यावरण व स्वच्छता पर कार्य करने की आवश्यकता है.

संघ प्रमुख के साथ होली के दिन 19 मार्च की शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भी औपचारिक मुलाकात हुई थी. इसके साथ ही भागवत ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए समाजिक समरसता विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि पूरे समाज मे आपसी भेदभाव को दूर करने का कार्य ही स्वयंसेवक का गुण है. हमे समाज को सभी विकारों से मुक्त करके समरसता भाव वाले सामाजिक परिवेश को तैयार करना है. लंबे समय से समाज-तोड़क संवादों को सामाजिक समरसता से दूर किया जा सकता है. उन्होंने समाजिक सदभावना विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि कुछ विकृतियों के कारण समाज का ताना बाना टूटा है. जाति-पाति,विषमता,अस्पृश्यता जैसे समाजिक विकार जितनी जल्दी हो सके,खत्म होने चाहिए. समाज का मन बदलना चाहिए. समाजिक अहंकार और हीनभाव दोनों समाप्त होने चाहिए.

Lahar Ujala

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