कोरोना के बाद पहली बार शब-ए-बारात की इबादत, खुशबुओं से महके कब्रिस्तान
उन्नाव में 2 सालों से कोरोना के चलते लगभग कई आयोजन व भीड़ एकत्र करने वाले त्यौहार व कार्यक्रम पर पूरी तरीके से बंद थे. इस बार उन्नाव में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इबादत व मगफिरत की रात शब-ए-बारात बीती रात को मनायी है. शब ए बरात में मुस्लिम धर्मावलंबी पूरी रात इबादत में मशगूल रहे और दूसरे दिन आज रोजा रखा है. इबादत और मगफिरत का त्योहार शब-ए-बारात का उत्साह इस बार काफी देखा जा रहा है. पूरी रात कब्रिस्तान इत्र की खुशबू से महक गए. पिछले दो साल से कोरोना संक्रमण के कारण बंदिशें लगी हुई थीं. वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण का खतरा बहुत कम है और बाजार से लेकर दूसरी सारी चीजें खुली हुई हैं. लॉकडाउन की समस्या नहीं है. शुक्लागंज के कब्रिस्तान में पहुंचे लोगों ने पूरी रात इबादत में गुजारी.
होली और शब-ए-बारात का पर्व एक ही दिन पड़ने के कारण कई कोई अप्रिय घटना न हो इसके लिए जनपद के अलग अलग थाना क्षेत्रों में मस्जिदों और कब्रिस्तान के आस पास पुलिस की मुस्तैदी पहले से ही थी. रात भर पुलिसकर्मी घूमते रहे. सभी पर्व शांतिपूर्ण तरीके से निपटे. मोहम्मद नाजिम की मानें तो इबादत व मगफिरत का यह पर्व शब-ए-बारात इस्लामी कैलेंडर के शाबान महीना के 15 तारीख को मनाया जाता है. शब-ए-बारात पर्व को लेकर प्राय: मस्जिदों में विशेष तैयारी की जाती है. मस्जिदों में इबादत के लिए आने वाले धर्मावलंबियों के लिए विशेष रूप से व्यवस्था की जाती है. मस्जिदों एवं कब्रिस्तानों में लाइट की वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है. चूंकि शाम ढलते ही मस्जिदों में इबादत करने वाले लोगों की भीड़ जुटने लगती है, शाम से लेकर सुबह के फजर की नमाज तक लोगों की भीड़ जुटी रहती है.
इस क्रम में लोग कब्रिस्तान भी जाते हैं और फातिहा पढ़ते हैं. पर्व को लेकर बच्चों में खुशी का वातावरण है. बच्चे उत्साहित रहते हैं. शब-ए-बरात के ठीक पंद्रह दिनों के बाद रमजान शुरू हो जाएगा. शाबान और रमजान का महीना मुसलमानों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. यही वजह है कि शब-ए-बारात पर्व का काफी महत्व दिया जाता है. चम्पापुरवा, कर्बला, मनोहर नगर के कब्रिस्तान में देर रात इबादत की जमाज के साथ फातिया पढ़ने के लिए लोग पहुंचे.
बुजुर्गों के लिए करते हैं दुआ
शब-ए-बारात में इबादत के साथ कब्रिस्तान भी रोशन हुए. बीते शुक्रवार को शब-ए-बारात का पर्व था. पूरी रात मुस्लिम समुदाय के लोग इबादत में जुटे रहे और अपने व अपने बुजुर्गों के गुनाहों के लिए माफ़ी के लिए इबादत करते रहे. कब्रिस्तानों में जाकर पूर्वजों की कब्रों पर फातिहा पढ़ कर उनकी बख्शिश की भी दुआ की. बीते शुक्रवार को इबादत व मगफिरत की रात ‘शब-ए-बारात’ थी. इस्लामिक कैलेंडर के आठवें महीने ‘शाबान’ की 15वीं शब (रात) को मनाया जाता है. इस बार शब-ए-बारात का त्योहार शुक्रवार की शाम से लेकर 29 मार्च तक मनाया जाएगा. शब-ए-बारात पर बीते शुक्रवार की पूरी रात मुस्लिम लोग इबादत में मशगूल थे और दूसरे दिन यानी आज शनिवार को रोजा रखते हैं.
बताते चलें की शब-ए-बारात पर इस बार काफी उत्साह देखा जा रहा है. पिछले दो साल से कोरोना संक्रमण के कारण बंदिशें लगी हुई थी. वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण का खतरा बहुत कम है और बाजार से लेकर दूसरी सारी चीजें भी खुली हुई हैं. बताते चलें शब-ए-बारात पर लोग अपने नाते-रिश्तेदार या जानने वाले जो इस दुनिया से गुजर चुके हैं उनकी मगफिरत के लिए अल्लाह से दुआ करते हैं. इसके अलावा अच्छे खाने और मीठे पकवान बनाकर गरीबों में बांटते हैं. साथ ही रमजान की तैयारी में भी जुट जाते हैं. इस बार रमजान दो अप्रैल से शुरू होना संभावित है.