उत्तर-प्रदेश

होली पर्व पर गुझिया, मालपुआ,चिप्स और पापड़ खिलाकर मेहमानों का इस्तकबाल करती है काशी

  • विविध व्यजंनों के साथ भांग और ठंडई का सेवन,दही बड़ा का भी आकर्षण

वाराणसी। बाबा विश्वनाथ की नगरी में होली अपने हुडदंग और मस्ती के साथ खास खान-पान के लिए जानी जाती है। काशी की होली में भंग और खास पकवान न हो तो त्यौहार रंगहीन हो जाता है। पर्व पर अपने परिजनों के साथ मेहमानों के इस्तकबाल के लिए विविध व्यजंन खास गुझिया, मालपुआ, चिप्स, पापड़, दही बड़ा घरों में महिलाएं बनाती है । या फिर रेडिमेड रखती है।

घरों में मेहमानों और पड़ेसियों के साथ भांग और ठंडई भी बनायी जाती है और उसमें कई प्रकार के ड्राई फूट्स को पीस कर मिलाया जाता है। बेहतरीन ठंडई अल्हड़पन के साथ पेश होती है। होली पर गुझिया बनाने के लिए महिलाएं सूजी, मैदा, मेवा,खोवा आदि की खरीददारी पहले ही कर लेती है। इसे स्वादिस्ट बनाने के लिए केसर, काजू-पिस्ता भर रिफाइंड से लेकर देसी घी में तलती है।

हुकुलगंज की कनकलता,सीमा तिवारी,जया बताती है कि पर्व पर विभिन्न वेरायटी की गुझिया रिश्तेदारों और पड़ोसियों को अपने हाथों से बनाकर खिलाती है। पड़ोसी भी अपने घर बुलाकर गुझिया खिलाती है। अच्छा बनाने पर जो तारीफ होती है तब खुशी मिलती है। पर्व पर बाजारों में भी रेडिमेड गुझिया उपलब्ध है। गुझिया के आर्डर लोग पहले ही दे देते है। सबसे अधिक खोवे वाली गुझिया के अलावा बालूशाही, मालपुआ की मांग होती है।

जगतगंज लहुराबीर के मिष्ठान विक्रेता गोपाल यादव बताते है कि देसी घी में बनी खोवे की गुझिया लोगों को अधिक पसंद है। उन्होंने बताया कि होली मिलन समारोह में भी लोग इसे चाव से खाते है। आयोजक पहले से ही आर्डर दे देते है। त्यौहार की खुशी में गुझिया मिठास भरने का काम करती है।

कवि जयशंकर जय बताते है कि होली ऐसा त्यौहार है जिसे लोग अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों,दोस्तों,पड़ोसियों,सहयोगियों के साथ प्यार और स्नेह से मनाते है। पर्व पर खिलाये जाने वाली खास गुझिया और मिष्ठान्न उनके रिश्तों को भी मजबूती प्रदान करता हैं। यह एक ऐसा त्यौहार हैं जो लोगों को उनके पुराने बुरे व्यवहार को भुला कर रिश्तों की एक डोर मे बॉधता हैं। लोगों के जीवन को रंगीन बनाने के कारण इसे रंगों का पर्व होली कहा गया है। भागमभाग भरे जीवन में लोग अपना पूरा दिन रंग, गायन, नृत्य, स्वादिष्ट व्यंजन खाने, पीने, एक-दूसरे के गले मिलने, दोस्तों के घर पर मिलने मे व्यतीत करते है।

Lahar Ujala

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