पी चिदंबरम के खिलाफ जांच करने वाले ED के अफसर राजेश्वर सिंह के BJP में शामिल होने पर भड़के कार्ति चिदंबरम, बोले- अब सच सामने आ रहा है
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में प्रवर्तन निदेशालय के पूर्व संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह ने बीजेपी के टिकट पर सरोजिनी नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना ले लिया है. वहीं, पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने बीजेपी और ED पर तंज कसते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय से बीजेपी में शामिल होने के लिए “वीआरएस” लेना पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी से मेन कंपनी में जाने जैसा है. बता दें कि राजेश्वर सिंह ने एयरसेल-मैक्सिस सौदा मामले में कार्ति चिदंबरम और उनके पिता कांग्रेस नेता पी चिदंबरम की जांच की थी.
दरअसल, ED के पूर्व डायरेक्टर राजेश्वर सिंह एयरसेल-मैक्सिस सौदा मामले के अलावा,हर उन जांच टीमों का हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने साल 2009 से यूपीए सरकार को हिलाकर रख देने वाले हर भ्रष्टाचार के मामले की जांच की. वहीं, कांग्रेस और उसके सहयोगियों की विश्वसनीयता को ध्वस्त किया. इनमें 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामला, राष्ट्रमंडल खेल घोटाला और कोयला खदान आवंटन घोटाला शामिल हैं. हालांकि इनमें से हर मामले में, कांग्रेस या उसके सहयोगियों दलों के शीर्ष नेता मुख्य आरोपी के रूप में सामने आए. उन्हें योगी कैबिनेट में मंत्री रही स्वाति सिंह के जगह पर टिकट दिया गया है. राजेश्वर सिंह के बीजेपी में शामिल होने की बात काफी समय से चल रही थी.
पी चिदंबरम के बेटे कीर्ती चिदंबरम ने BJP में शामिल होने पर ED डायरेक्टर पर कसा तंज
Taking “VRS” from the @dir_ed to join the @BJP4India, is like moving from the wholly owned subsidiary to the parent company. https://t.co/r8E5UGKeSR
— Karti P Chidambaram (@KartiPC) February 1, 2022
जानिए कौन हैं राजेश्वर सिंह?
बता दें कि ED के पूर्व डायरेक्टर राजेश्वर सिंह ने अधिकारी के रूप में उत्तर प्रदेश पुलिस (UP Police) के साथ अपने सिविल सेवा करियर की शुरुआत की थी. उन्हें ह्यूमन एंड टेक्नोलॉजी का एक्सपर्ट माना जाता है. अपने पुलिस करियर की शुरुआत में उनके पास गोमतीनगर सीओ (अपराध) और सीओ (यातायात) के सर्किल ऑफिसर का एक साथ चार्ज था. इसके लिए उनकी काफी चर्चा भी हुई. राजेश्वर सिंह के नाम 13 एनकाउंटर है. अपने 14 महीने के कार्यकाल में ही उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना लीउन्होंने करीब 10 सालों तक उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ काम किया और बाकी के सालों में ईडी के साथ काम किया. इस दौरान राजेश्वर सिंहअपने करियर में कई विवादों में भी रहे, जिनमें जून 2018 में हुआ एक विवाद भी शामिल है. जब वित्त मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक गोपनीय रिपोर्ट सौंपी, जिसमें उनको दुबई से आए एक फोन कॉल की जानकारी थी.
ED में रहकर कई अहम घोटाले की जांच की
गौरतलब है कि साल 1997 बैच के पीपीएस अधिकारी रहे राजेश्वर सिंह ने सोशल मीडिया पर सेवाकाल का जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि 24 सालों का कारवां एक पड़ाव पर आज रुका है. जहां 10 साल यूपी पुलिस में नौकरी करने और 14 साल ईडी में सेवा देने के बाद अब संन्यास ले रहा हूं. हालांकि वह साल 2007 में ईडी में प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे. वहां उन्होंने कई अहम घोटाले की जांच की. इसमें 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील, एयरटेल मैक्सिस घोटाला, आम्रपाली घोटाला, नोएडा पोंजी स्कीम घोटाला, गोमती रिवर फ्रंट घोटाला आदि शामिल है. उन्होंने बताया कि ईडी में तैनाती के दौरान घोटालेबाज नेताओं, नौकरशाहों, बाहुबलियों और माफिया से उनकी अवैध कमाई से अर्जित 4000 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्तियों को जब्त किया.