रूस-यूक्रेन संघर्ष ने दिखाया ‘आत्मनिर्भर’ होना सेनाओं के लिए जरूरी : रक्षा मंत्री
- तमाम चुनौतियों के बावजूद युद्ध के लिए नौसेना पूरी तरह तैयार
- भारतीय नौसेना सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल में सबसे आगे
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को नई दिल्ली में नौसेना कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और युद्ध के लिए नौसेना पूरी तरह तैयार है। रूस और यूक्रेन में चल रहे संघर्ष ने एक बार फिर इस बात को उजागर किया है कि आत्मनिर्भर होना किसी भी सेना के लिए कितना महत्वपूर्ण है। भारतीय नौसेना सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल में सबसे आगे रही है।
अफ्रीका एवेन्यू स्थित रक्षा कार्यालय परिसर में 25 अप्रैल से शुरू हुए नौसेना कमांडरों के सम्मेलन का आज समापन हुआ। भारतीय नौसेना के वरिष्ठ नेतृत्व को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि सम्मेलन में नौसेना कमांडरों के बीच समुद्री क्षेत्र के उन प्रमुख मुद्दों पर मंथन किया गया है, जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा का सामना करते हैं। समुद्री योद्धाओं की उनके व्यावसायिकता और समर्पण के लिए सराहना की जानी चाहिए, जिसके साथ वे राष्ट्र के समुद्री हितों की रक्षा कर रहे हैं। रक्षा मंत्री ने अग्रिम पंक्ति के जहाजों और विमानवाहकों से होने वाली उड़ानों में महिला अधिकारियों की नियुक्ति के लिए भारतीय नौसेना की भी सराहना करते हुए कहा कि नौसेना इस साल जून से राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के माध्यम से महिला कैडेटों को भी शामिल करेगी।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत के समुद्री चरित्र और इसकी महत्वपूर्ण भू-सामरिक स्थिति ने एक राष्ट्र के रूप में सभ्यता के विकास में प्राथमिक भूमिका निभाई है। राष्ट्रीय विकास और दुनिया के साथ जुड़ाव के लिए समुद्र पर बढ़ती निर्भरता के साथ हमारी नौसेना भारत के समुद्री हितों की रक्षा करके इस क्षेत्र में सुरक्षित वातावरण को सक्षम बनाती है। भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में भरोसेमंद उपस्थिति दर्ज की है। इन तैनातियों से भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में ‘पसंदीदा सुरक्षा भागीदार’ के रूप में उभरी है। उन्होंने समुद्र में नारकोटिक्स विरोधी अभियान, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में बाढ़ राहत टीमों की तैनाती के लिए नौसेना को सराहा।
उन्होंने कमांडरों से कहा कि दुनिया में मौजूदा सुरक्षा माहौल की बात करें तो रूस और यूक्रेन में चल रहे संघर्ष ने एक बार फिर इस बात को उजागर किया है कि निर्भरता के बिना आत्मनिर्भर होना एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। भारतीय नौसेना सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल में सबसे आगे रही है। यही वजह है कि 41 जहाजों और पनडुब्बियों में से 39 भारतीय शिपयार्ड में बनाए जा रहे हैं। ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के अनुरूप नौसेना ने अपने पूंजीगत बजट का 64% से अधिक हिस्सा अपनी अर्थव्यवस्था में फिर से निवेश किया है। इस चालू वित्त वर्ष में स्वदेशी खरीद के लिए आधुनिकीकरण बजट का 64 प्रतिशत हिस्सा 70 प्रतिशत तक बढ़ना तय है।
उन्होंने नौसेना के वरिष्ठ नेतृत्व से भविष्य की क्षमता विकास पर अपना ध्यान बनाए रखने का आग्रह किया ताकि देश की समुद्री शक्ति हमारे आर्थिक हितों के अनुरूप बढ़ सके। देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक ‘विक्रांत’ ने तीन समुद्री परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इसे आजादी के 75वें वर्ष में नौसेना में शामिल किया जाना एक और मील का पत्थर होगा। भारतीय नौसेना ने सैन्य कूटनीति को आगे बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं। भारतीय नौसेना ने पिछले चार दशकों में 45 से अधिक मित्र देशों से 19 हजार से अधिक कर्मियों को प्रशिक्षित किया है।