बीरभूम हिंसा: बीजेपी की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने नड्डा को सौंपी रिपोर्ट, बताया बीरभूम में क्या हुआ
बीरभूम जिले के रामपुरहाट में गत 22 मार्च को हुई आगजनी की घटना पर भारतीय जनता पार्टी की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंप दी है। कमेटी ने अपनी इस रिपोर्ट में कई सनसनीखेज दावे किए हैं। समिति के एक सदस्य सुकांतो मजूमदार ने समाचार एजेंसी को बताया, ” फैक्ट फाइंडिंग टीम बीरभूम के उस गांव में गई, जहां घटना हुई थी। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कारण हमें गांव पहुंचने में परेशानी का सामना करना पड़ा था।”
बीरभूम हिंसा के बाद नड्डा ने पांच सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग समिति का गठन किया था, जिसमें चार पूर्व आईपीएस अधिकारी और पश्चिम बंगाल राज्य भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार शामिल थे। समिति के सदस्यों में ब्रजलाल (राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी), लोकसभा सांसद और मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त सत्यपाल सिंह, राज्यसभा सांसद और पूर्व आईपीएस अधिकारी के.सी. राममूर्ति, सुकांतो मजूमदार (लोकसभा सांसद लोक और पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष) भारती घोष (राष्ट्रीय प्रवक्ता और पश्चिम बंगाल के पूर्व आईपीएस अधिकारी) शामिल थे।
कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के आदेश के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) नरसंहार की जांच कर रहा है। रामपुरहाट हिंसा मामले को लेकर पश्चिम बंगाल विधानसभा में सोमवार को भारी हंगामा देखने को मिला। भाजपा विधायक रामपुरहाट हिंसा पर विधानसभा में चर्चा कराने एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान की मांग कर रहे थी जिस पर टीएमसी के विधायक भड़क गए और टीएमसी के कुछ विधायकों ने पार्टी के चीफ व्हिप मनोज टिग्गा का कॉलर पकड़ा।
बता दें कि बीरभूम के रामपुरहाट में हुई आगजनी की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। यहां टीएमसी नेता की हत्या होने के बाद उग्र भीड़ ने कई घरों में आग लगा दी। आग की इस घटना में महिलाओं-बच्चे सहित आठ लोगों की जलकर मौत हो गई। कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इस घटना की जांच अपने हाथ में ली है। इस त्रासदपूर्ण घटना के बाद बंगाल की ममता सरकार भाजपा सहित विपक्ष के निशाने पर आ गई हैं। इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हत्याओं की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, लेकिन अदालत ने इसे हटा दिया।