ओमिक्रॉन संकटः WHO की चेतावनी- आने वाले दिनों में तेजी से बढ़ सकता है मौत का आंकड़ा, अस्पताल में भर्ती होने वाले बढ़ेंगे मरीज
कोरोनावायरस का संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है. वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के चलते कई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं. यह वेरिएंट काफी तेजी से फैल रहा है. इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि आने वाले हफ्तों में अस्पताल में भर्ती होने और मौत के मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि दिसंबर के आखिर में लोग छुट्टियां मनाने के लिए बाहर निकले और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रखा गया है.
महामारी पर अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को कहा कि वैश्विक स्तर पर COVID-19 की मामलों में वृद्धि हुई है, जोकि शुरू में मुख्य रूप से डेल्टा वेरिएंट के ट्रांसमिशन से प्रेरित है. इससे पता चलता है कि अगस्त 2021 में दूसरी लहर अपने चरम पर पहुंचने के बाद से COVID-19 मृत्यु दर में वैश्विक गिरावट देखी गई.
ओमिक्रॉन वेरिएंट डब्ल्यूएचओ के सभी छह क्षेत्रों के देशों में फैल गया है. इसने अधिकांश देशों में डेल्टा वेरिएंट की जगह ले ली है, जिसका डेटा उपलब्ध है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन देशों ने नवंबर और दिसंबर 2021 में ओमिक्रॉन के मामलों में तेजी से वृद्धि की है, वहां मामलों में गिरावट देखने को मिल रही है. शुरुआती आंकड़ों के बावजूद ओमिक्रॉन वेरिएंट से जुड़े संक्रमण की गंभीरता डेल्टा की तुलना में कम है.स्वास्थ्य कर्मियों सहित बहुत बड़ी संख्या में कोरोना मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हुई है, जिससे स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर दबाव पड़ा है.
विश्व की 57 फीसदी आबादी को कम से कम कोरोना वैक्सीन की एक डोज लग चुकी हैः डब्ल्यूएचओ
रिपोर्ट में कहा गया है कि 29 दिसंबर 2021 तक विश्व स्तर पर टीके की लगभग 8.6 अरब खुराकें दी जा चुकी हैं. विश्व की 57 फीसदी आबादी ने कम से कम एक खुराक प्राप्त की है और 47 फीसदी ने प्राथमिक टीकाकरण श्रृंखला पूरी कर ली है. टीकों का वितरण “असमान” बना हुआ है, कम आय वाले देशों में केवल 9 फीसदी लोगों को कम से कम एक खुराक मिली है, जबकि हाई-इनकम वाले देशों में यह 66 फीसदी है.
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि विश्व में कोविड रोधी टीकाकरण और दवाओं के वितरण की असमानताओं को शीघ्रता से दूर किया जाता है, तो इस वर्ष कोविड-19 वैश्विक महामारी से जुड़ी स्वास्थ्य आपात स्थिति यानी उससे होने वाली मौत, अस्पतालों में मरीजों के भर्ती होने और लॉकडाउन से निजात पाया जा सकता है. डब्ल्यूएचओ ने अमीर और गरीब देशों के बीच कोविड-19 रोधी टीकाकरण में असमानता को एक भयावह नैतिक विफलता बताया.