किसानों की 5 सदस्यीय कमेटी ने केंद्र को भेजा नया प्रस्ताव, आंदोलन से संबंधित मामलों को तुरंत वापस लेने की मांग
किसान आंदोलन महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच गया है और केंद्र के साथ किसान नेताओं की सीधी बातचीत जारी है. संयुक्त किसान मोर्चा की 5 सदस्यीय कमेटी ने सरकार के प्रस्ताव पर आपत्तियां जाहिर करने के बाद एक नया प्रस्ताव केंद्र को वापस भेजा है. सूत्रों के मुताबिक इस नए प्रस्ताव में मुख्य रूप से आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए कानूनी मामले तुरंत वापस लेने की मांग की गई है.
सूत्रों की माने तो सरकार भी केस वापस लेने की मांग पर तत्काल प्रभाव से राजी हो गई है. उधर, राकेश टिकैत ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि सरकार केस वापस लेगी, तभी आंदोलन खत्म किया जाएगा. इससे पहले केंद्र सरकार ने मंगलवार को किसानों को 5 पॉइंट का प्रस्ताव भेजा था. इसमें सरकार एमएसपी पर कमेटी बनाने के लिए तैयार थी. साथ ही सरकार ने साफ कर दिया था कि वह किसानों पर दर्ज केस वापस लेने के लिए तैयार है, लेकिन उससे पहले आंदोलन वापस लेना होगा. वहीं, किसानों की मांग है कि पहले केस वापस लिए जाएं, इसके बाद ही आंदोलन खत्म होगा.
सरकार ने क्या प्रस्ताव भेजा था
1- सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक, एमएसपी पर पीएम मोदी और बाद में कृषि मंत्री ऐलान कर चुके हैं कि कमेटी बनाई जाएगी, इसमें राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारी होंगे. साथ ही किसान नेताओं को भी शामिल किया जाएगा. इसमें कृषि वैज्ञानिक भी शामिल होंगे. इतना ही नहीं इस कमेटी में किसान संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
2- प्रस्ताव के मुताबिक, जहां तक की आंदोलन की बात है, तो हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार आंदोलन के खत्म होते ही केस वापस लेने के लिए तैयार है.
3- सरकार ने कहा है कि जैसे ही आंदोलन वापस होगा, जिस विभाग ने केस दर्ज किया है, वह अपने आप केस वापस ले लेंगे.
4- जहां तक की मुआवजे की बात है, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी सहमति दी है. पंजाब सरकार मुआवजे को लेकर पहले ही ऐलान कर चुकी है.
5- जहां तक की बिजली बिल की बात है, इसमें सभी पक्षों का विचार सुना जाएगा. इसके बाद संसद में बिल पेश किया जाएगा.
6- पराली जलाने पर सरकार ने कहा है कि भारत सरकार द्वारा पारित अधिनियम में किसान को आपराधिक केस से छूट दी गई है.
क्या है किसानों की आपत्ति?
1.तीन कृषि कानून का समर्थन, एमसपी पर कानून बनाने का विरोध, सरकार के पक्ष में आंदोनल बीच में समाप्त करने वाले संगठनों को शामिल करना उचित नहीं. इससे समिति में आमराय कायम करना मुश्किल होगा. केवल आंदोलन करने वाले मोर्चा से संबद्ध किसान संगठन के प्रतिनिधि ही शामिल होने चाहिए.
2. सरकार को मुकदमें समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू करने की समय सीमा बतानी चाहिए. कई राज्य सरकार ने मुकदमें वापस लेने की घोषणा की लेकिन आजतक समाप्त नहीं किए गए. खराब अनुभवों को देखते हुए सरकार लिखित व समयबद्ध तरीका अपनाए.
3. सैद्धांतिक सहमति देने के बजाए सरकार पंजाब मॉडल की दर्ज पर मृतक किसान परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा व एक सदस्य को नौकरी देने लागू करने की लिखित गारंटी देनी चाहिए.
4. पूर्व में सरकार के साथ वार्ता में तय हुआ था कि सरकार उक्त बिल को संसद में लेकर नहीं आएगी, लेकिन संसद की सूची में उक्त बिल अभी भी सूचीबद्ध है. इससे किसानों व आम उपभोक्ता पर बिजली का बिल बहुत बढ़ जाएगा.
5. बिल के बिंदु नंबर 15 में जुर्माना व सजा का प्रावधान है.
किसानों की कमेटी का कहना है कि अगर आपत्तियां दूर नहीं की गई तो वो जवाब के साथ सिंघु बार्डर लौट जाएंगे और पहले से तय 2 बजे की बैठक करेंगे. हालांकि कमेटी को उम्मीद है कि आज ही केंद्र सरकार के साथ बात बन जाएगी. उधर किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार को स्पष्ट कर देना चाहिए कि इस कमेटी में वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों के अलावा कौन-कौन से किसान या संगठन शामिल हैं. टिकैत के ताजा बयान से आंदोलन की समाप्ति पर संशय बढ़ने लगा है. हालांकि, इस आंदोलन को खत्म करने के संबंध में उन्होंने कहा कि किसान मोर्चा ही आखिरी फैसला लेगा. किसानों पर दर्ज केस वापस लेने के प्रस्ताव पर टिकैत ने कहा कि एक दिन में मामले में वापस नहीं हो सकते हैं. इसकी एक लंबी प्रक्रिया होती है. सरकार शब्दों में हेर-फेर करके प्रस्ताव भेज रही है. यह साफ होना चाहिए कि केस वापस लेने की समय-सीमा तय की जानी चाहिए.
हालांकि, टिकैत ने नरमी दिखाते हुए कहा कि हम समाधान की तरफ बढ़ रहे हैं. मालूम हो कि संयुक्त किसान मोर्चा ने गृह मंत्रालय के प्रस्ताव पर भी ऐतराज जताया है, जिसमें कहा गया है कि आंदोलन समाप्ति की शर्त पर ही किसानों पर दर्ज मामले वापस लिए जाएंगे. वहीं, मुआवजे, बिजली बिल व पराली के मुद्दे को लेकर केंद्र की ओर से दिए गए प्रस्ताव पर किसान नेता ने कोई ऐतराज नहीं जताया. बता दें कि मुआवजे को लेकर सरकार ने पंजाब मॉडल अपनाने का प्रस्ताव दिया है. साथ ही बिजली के बिल पर सरकार का कहना है कि इस पर पहले सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ बातचीत की जाएगी. इसके अलावा, केंद्र सरकार ने पराली को लेकर जो कानून पारित किया है, उसमें धारा 14 और 15 के तरह क्रिमिनल लाइबिलिटी से किसानों को मुक्ति दी है.