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टीसीएस के संस्थापक और पहले सीईओ फकीर चंद कोहली को दी श्रद्धांजलि

टीसीएस ने भारत में आईटी उद्योग के पितामह, प्रसिद्ध एफसी कोहली का उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर किया स्मरण

नवंबर 2021: 1968 में प्रबंधन और प्रौद्योगिकी में नयी कंसल्टेंसी के रूप में भारत में जिसकी शुरूआत हुई वह है आज की आईटी दिग्गज, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस। यह उपलब्धि हासिल की गयी पद्म भूषण श्री फकीर चंद कोहली के नेतृत्व में। 26 नवंबर 2021 को टीसीएस के संस्थापक और पहले सीईओ के दुःखद निधन को एक साल हो गया है। दो दशकों में, इस दूरदर्शी नेता ने सॉफ्टवेयर विकास को नयी रोशनी दिखायी, और इसी लिए उन्हें ‘भारत के आईटी उद्योग के पितामह’ कहा जाता है।

देश का पहला लोड डिस्पैच सेंटर स्थापित करने के लिए 1951 में टाटा इलेक्ट्रिक कंपनी में शामिल हुए एफसी कोहली को जेआरडी टाटा ने 1969 में टीसीएस स्थापित करने के लिए कहा। इस प्रतिभावान टेक्नोक्रेट ने टीसीएस में क्षमता देखी और टीसीएस के विकास की उनकी रणनीति ने पूरे भारत में आईटी उद्योग को प्रभावित किया।

पहले कुछ वर्षों में, टीसीएस ने स्थानीय बैंकों को इंटर-ब्रांच रेकन्सीलिएशन्स को कम्प्यूटराइज़ करने में मदद की। 1972 में टीसीएस ने मुंबई की टेलीफोन डिरेक्टरी को कम्प्यूटराइज़ किया। टीसीएस के पहले सीईओ के रूप में, एफसी कोहली ने कई लोगों को प्रेरित किया और भारत में आईटी क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया। टीसीएस क्या बन सकता है, इसके बारे में उनका उत्साह और सोच को उनके उस दृष्टिकोण ने मज़बूत बनाया जो उन्होंने राष्ट्रीय विकास के एक साधन के रूप में भारत में आईटी क्षेत्र के लिए रखा था। टीसीएस की शुरूआत से ही, एफसी कोहली ने उसका समर्थन किया, लगातार विकसित हो रही प्रौद्योगिकी के साथ बनाए रखने और ग्राहकों की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में उसे सक्षम बनाया।

एफसी कोहली ने टीसीएस में जो पहले निर्णय लिए, उनमें से एक था आईआईटी-कानपुर के कंप्यूटर विज्ञान में विशेषज्ञता के साथ, एमटेक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग की लगभग पूरी कक्षा को भर्ती करना। टीसीएस हमेशा अग्रसर रहें इसके लिए उसका समर्थन करने के उनके दृष्टिकोण और योगदान के परिणाम ने असंख्य तरीकों दिखायी दिए हैं। महान एफसी कोहली के नेतृत्व में कुछ सौ पेशेवरों के साथ शुरू हुई टीसीएस आज 5,28,000 का परिवार बन गयी है। एफसी कोहली जैसे नेताओं का जीवन और विरासत हमें बताती है कि वैश्विक स्तर पर आईटी में अग्रणी के रूप में अपना स्थान हासिल करने का भारत का सफर कैसा था।

उनकी पहली पुण्यतिथि पर, टीसीएस की इच्छा है कि जो मार्ग उन्होंने मार्ग प्रशस्त किया, वह आईटी पेशेवरों की आने वाली पीढ़ियों को दुनिया भर में आईटी में सबसे आगे बने रहने में योगदान देने के लिए प्रेरित करता रहें। उनकी पहली पुण्यतिथि पर, टीसीएस के वरिष्ठ नेताओं ने एफसी कोहली को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके गतिशील नेतृत्व में काम करने में बिताए समय की स्वर्णिम यादें साझा कीं।

चेयरमैन – नार्थ अमेरिका श्री सूर्य कांत ने कहा, “भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग के पितामह श्री कोहली ने बहुत पहले ही क्षमता जान ली थी। वह जानते थे कि एक मजबूत नींव बनाने के लिए कुछ ऐसा जरूरी है जो सुस्पष्ट परिवर्तन ला सकें – और उन्होंने “हम जो कुछ भी करते हैं उसमें उत्कृष्टता” को शामिल किया। उनका आचरण कठोर था, लेकिन भीतर से वह ऐसे नेता थे जो अपने लोगों से बेहद प्यार करते थे, उन्हें प्रोत्साहित करते थे और उनकी उपलब्धियों पर गर्व करते थे। एक उदहारण बताता हूं, जब मुझे टोक्यो में टीसीएस संचालन शुरू करने के लिए जापान भेजा गया था, तो वहां की भाषा और व्यावसायिक शिष्टाचार में मेरे ‘पूरी तरह से घुल जाने’ पर उन्हें बहुत गर्व था। कुछ साल बाद, उन्होंने हमें मिले प्रतिष्ठित ब्रिटिश कंप्यूटर सोसाइटी पुरस्कार की बहुत सराहना की जो टीआरडीडीसी, पुणे में विकसित हमारे टूल का उपयोग करके सन लाइफ एश्योरेंस कंपनी के लिए किए गए परिवर्तन कार्य के लिए दिया गया था। मैं उनका आजीवन ऋणी रहूंगा।”

चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर श्री के. अनंत कृष्णन ने कहा, “मैंने पिछले 32 वर्षों में महान श्री फकीर चंद कोहली से बहुत कुछ सीखा है। 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में, नरीमन पॉइंट में एयर इंडिया बिल्डिंग में अपने कार्यालय में मैं अक्सर उनसे मिलता था। वह एक विनम्र और सुशील होस्ट थे और जब कोई उनके कार्यालय में उनसे मिलने जाते थे तो उनके लिए कप में चाय वह स्वयं चाय डालते थे। उन्हें प्रौद्योगिकी के बारे में सभी अद्ययावत जानकारी हमेशा रहती थी और भारतीय भाषा, कंप्यूटिंग, हार्डवेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स, समाज की भलाई के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने और छोटे शैक्षणिक संस्थानों की मदद करने जैसी कई बातों के बारे में वह काफी संवेदनशील थे। और हां, उनकी हास्यवृत्ति यक़ीनन उल्लेखनीय थी! उन्होंने इतना कुछ किया है और कई लोगों को प्रेरित किया है। लेकिन एक खास क्षेत्र है जिसे मैं कहूंगा, जो मेरे दिल को प्रिय है- टीसीएस रिसर्च एंड इनोवेशन। वह टीसीएस रिसर्च एंड इनोवेशन की स्थापना के प्राथमिक प्रस्तावक थे। अगर हम उनकी उम्मीदों पर खरे उतर सकें और उनके सपने को साकार कर सकें तो वह मेरे लिए गर्व की बात होगी। उनकी पवित्र आत्मा को सद्गति प्राप्त हो यही मेरी ईश्वर से प्रार्थना है।”

चीफ लीडरशिप एंड डायवर्सिटी ऑफिसर, डॉ. रितु आनंद ने कहा, “इस उद्योग में काम करते हुए पिछले तीन दशकों में, कुछ ऐसे नेताओं से मुलाकात का सौभाग्य मुझे मिला है जिन्होंने मुझ पर, मेरे काम और शायद मेरे जीवन पर भी उनकी गहरी छाप छोड़ी है। एफसी कोहली में संचालन का जो बल था उसकी तुलना बहुत कम लोगों के साथ की जा सकती है, कभी कोमलतापूर्वक तो कभी धक्का देकर, लेकिन हमेशा मुझे आगे बढ़ने में मदद करते थे। एचआर और पीपल मैनेजमेंट में काम करते हुए, ऐसी कई घटनाएं हुई जिनमें उन्होंने मुझे काफी कुछ सिखाया, और आज भी, मैं जीवन के उन छोटे-छोटे पाठों को महत्व देता हूं जो उन्होंने मुझे अपने खास तरीके से सिखाए। श्री कोहली जैसे महापुरूष कई ज़िन्दगियों पर अपनी छाप छोड़ते हैं, हमें प्रभावित करते हैं, हमारे दिमाग को समृद्ध करते हैं और सूक्ष्म लेकिन महत्वपूर्ण तरीकों से बढ़ने में हमारी मदद करते हैं। एक साल बाद भी, उनकी विरासत उनके द्वारा प्रभावित सकारात्मक परिवर्तनों के माध्यम से जीवित है।”

ऑपरेशंस हेड- इंडिया बिजनेस, टीसीएस, श्री मनोज इंदुलकर ने बताया, “पिछले पांच दशकों में टीसीएस भारत में परिवर्तन लाने का जो काम कर रही है, उसमें बहुत ही करीब से सहभागी होने के नाते मैं यह बताना चाहता हूं कि श्री कोहली के नेतृत्व में, टीसीएस शुरूआत से ही, हमेशा अभिनव समाधान लाकर, भारतीय कंपनियों के लिए आईटी की शक्ति का उपयोग करती आ रही है। चाहे वह तत्कालीन यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया हो या टाटा पावर या विभिन्न बैंक्स, इन भारतीय दिग्गजों द्वारा आईटी को अपनाने की यात्रा टीसीएस के साथ श्री कोहली के मार्गदर्शन में शुरू हुई। श्री कोहली द्वारा निर्धारित दिशा की बदौलत टीसीएस हमेशा भारत में सही मायने में परिवर्तनकारी आईटी सिस्टम को क्रियान्वित करने में सहभागी रही है। श्री कोहली की विरासत टीसीएस में हम सभी के हिस्से के रूप में जीवित है। चाहे भारत में माइक्रो फाइनेंस को बदलना हो या विकासशील अफ्रीकी राष्ट्र में सरकारी सिस्टम को, वॉल स्ट्रीट पर जटिल सिस्टम देना हो, टीसीएस हर चुनौती को अंजाम दे सकता है – इसका कारण है वह विश्वास कि हम इसे कर सकते हैं – यह भरोसा हमारे भीतर पैदा किया श्री कोहली ने। हम प्रतिभा विकसित करना जारी रखेंगे और सबसे महत्वपूर्ण बात, हम ऐसे नेताओं का निर्माण करते रहेंगे जो इस विरासत को आगे ले जाएंगे।

Lahar Ujala

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