दृढ़ निश्चय, संघर्ष, सच्चाई और सम्मान की एक बेमिसाल कहानी के साथ ज़ी सिनेमा सिनेमा एक बार फिर बंदिशों को तोड़ने के लिए तैयार है। ये एक महिला एथलीट की कहानी है, जो अपने आत्म-सम्मान और पहचान के कड़े संघर्षों से गुजरती है। एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर रोशनी डालती और समाज के नियमों पर सवाल उठाती तापसी पन्नू की फिल्म रश्मि रॉकेट का प्रीमियर ज़ी सिनेमा पर 27 नवंबर को रात 8 बजे होने जा रहा है।
शानदार स्टोरी टेलर आकाश खुराना के निर्देशन में बनी इस फिल्म को आईएमडीबी पर 7.7 की रेटिंग मिली है। यह फिल्म टैलेंटेड तापसी पन्नू यानी निडर रश्मि वीरा, एक वकील की भूमिका निभाने वाले अभिषेक बनर्जी और पूरी हिम्मत के साथ रश्मि का साथ देने वाले प्रियांशु पैन्युली की विश्वसनीय परफॉर्मेंस की शानदार मिसाल है। इस फिल्म में सुप्रिया पाठक ने रश्मि की मां और सुप्रिया पिलगांवकर ने एक जज के रूप में दमदार महिला किरदारों की भूमिकाएं निभाई हैं।
रश्मि रॉकेट सिर्फ हार जीत या एक एथलीट के सफर की कहानी नहीं है, बल्कि यह छोटे शहरों की उन असंख्य महिलाओं की आवाज है, जो असमानता और पक्षपात का सामना कर रही हैं। यह लीगल ड्रामा व्यवस्था के खिलाफ एक जंग है, जिसमें महिला एथलीट के लिए बनाए गए बेतुके नियमों को कोर्ट में चुनौती दी जाती है, जिसके बाद दुनिया में हमेशा के लिए खेल के नियम बदल दिए जाते हैं। एक अनछुए विषय को टटोलती एक दमदार कहानी और प्रभावशाली परफॉर्मेंस के साथ यह फिल्म अंत तक दर्शकों को जागरूक और शिक्षित बनाने के साथ-साथ उनका मनोरंजन करने का वादा करती है।
अपना अनुभव बताते हुए प्रियांशु पैन्युली ने कहा, “रश्मि रॉकेट में कैप्टन गगन का रोल मेरे लिए बेहद खास है। मैं अपने पिता का सफर देखते हुए बड़ा हुआ हूं, जो असम रेजीमेंट के एक रिटायर्ड कर्नल हैं। उनकी वजह से ही मुझमें सेना के प्रति आकर्षण और रुझान पैदा हुआ, हालांकि एक्टिंग मेरा जुनून है। इस रोल में सिनेमा के प्रति मेरे प्यार और आर्मी के लिए गहरे सम्मान के बीच बखूबी तालमेल देखने को मिला और मैं इस बात का आभारी हूं कि मुझे यह रोल निभाने का मौका मिला। मुझे याद है मैंने यूनिफॉर्म में अपनी फैमिली को मेरी पिक्चर्स भेजी थीं और उन सभी ने कहा था कि मैं बिल्कुल अपने पिता की तरह दिख रहा था, जैसे वो कैप्टन के रूप में अपने जवानी के दिनों में दिखते थे।”
अपने किरदार के बारे में बात करते हुए अभिषेक बनर्जी ने कहा, “जब भी मैं कोई रोल चुनता हूं तो मैं स्क्रिप्ट और किरदार को सबसे ज्यादा तरजीह देता हूं। जब मैंने इस फिल्म में अपने किरदार के बारे में पढ़ा तो मुझमें तुरंत दिलचस्पी जागी, क्योंकि ईशित एक नेक कारण यानी एक एथलीट के लिए लड़ता है, जो आवाज उठाती है और बदलाव लाना चाहती है। इस रोल की तैयारी के लिए मैंने हमेशा एक ऐसे शख्स के बारे में सोचा, जो बदलाव के लिए लड़ता है और शायद इसीलिए मैं इस किरदार से जुड़ गया। मुझे लगता है कि यह उस जैसे इंसान को समझने के लिए एक बड़ा मौका था, जिसने मुझे कई तरीकों से प्रेरित किया जिसके बारे में मैं सोच भी नहीं सकता था।”
सुप्रिया पाठक ने कहा, “आज की कहानियों में बहुत-सी परतें होती हैं, जिसके जरिए ये पर्दे पर हमसे कई तरह से जुड़ जाती हैं। मुझे यंग डायरेक्टर्स की यही बात बहुत अच्छी लगती है। स्क्रिप्ट में गहरे उतर जाने की उनकी लगन कुछ बेहतरीन कहानियां सामने लाती हैं। चीजों को देखने का उनका नज़रिय बड़ा ताज़गी भरा होता है। रश्मि रॉकेट ऐसी ही एक फिल्म है, जो मेरे दिल को छू गई। आज एक मां और उसके बच्चे का रिश्ता काफी बदल गया है और ऐसे में उन रिश्तों का चित्रण आज ज्यादा वास्तविक नजर आता है। रश्मि को अपने आसपास के करीबी लोगों से ताकत और मजबूती मिली। उसकी मां, जो मजबूती से उसके साथ खड़ी रही, ने उसके साथ सख्त व्यवहार किया ताकि वो मुश्किल से मुश्किल हालातों में मजबूती से डटी रहे। एक मां के प्यार को दोबारा परिभाषित करते हुए रश्मि रॉकेट ने इस सख्त प्यार के बिल्कुल अलग और वास्तविक चित्रण के साथ एक मिसाल पेश की है।”
रश्मि रॉकेट कच्छ की रहने वाली एक बिंदास लड़की रश्मि वीरा की कहानी है, जिसका बचपन बड़े बेपरवाह अंदाज में गुजरा। उसके मां-बाप ने उसे अपनी हदों से आगे बढ़कर एक वर्ल्ड एथलेटिक चैंपियन बनने में हमेशा उसका साथ दिया। हालांकि उस वक्त उसका करियर समाप्ति की कगार पर आ जाता है, जब वो अपनी सहयोगी महिला एथलीटों के द्वारा लैंगिक भेदभाव का शिकार बन जाती है। इसके बाद उसका असली सफर शुरू होता है, जिसमें वो तमाम बंदिशों को तोड़कर न्याय के लिए लड़ती है।
तो आप भी इस मजेदार सफर के लिए तैयार हो जाइए! देखिए रश्मि रॉकेट 27 नवंबर को,
रात 8 बजे सिर्फ ज़ी सिनेमा पर!