‘देश अब बाबा साहब का विरोध सुनने को तैयार नहीं’, 22 मिनट के भाषण में राजनीतिक दलों पर जमकर बरसे प्रधानमंत्री मोदी
संविधान दिवस के मौके पर संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी ने 22 मिनट का भाषण दिया. इस दौरान वो परिवारवाद को लेकर विभिन्न पार्टियों पर जमकर बरसे. उन्होंंने कांग्रेस, अखिलेश या लालू किसी का नाम नहीं लिया, हालांकि उनका इशारा साफ था. इस कार्यक्रम में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज का दिवस बाबासाहेब अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद जैसे दुरंदेशी महानुभावों का नमन करने का है. आज का दिवस इस सदन को प्रणाम करने का है.
पीएम मोदी ने कहा आज 26/11 हमारे लिए एक ऐसा दुखद दिवस है, जब देश के दुश्मनों ने देश के भीतर आकर मुंबई में आतंकवादी घटना को अंजाम दिया भारत के अनेक वीर जवानों ने आतंकवादियों से लोहा लेते-लेते अपने आप को समर्पित कर दिया. मैं आज 26/11 को उन सभी बलिदानियों को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं.
सहस्त्रों वर्ष की महान परंपरा की अभिव्यक्ति
पीएम मोदी बोले हमारा संविधान ये सिर्फ अनेक धाराओं का संग्रह नहीं है, हमारा संविधान सहस्त्रों वर्ष की महान परंपरा, अखंड धारा उस धारा की आधुनिक अभिव्यक्ति है. इस संविधान दिवस को इसलिए भी मनाना चाहिए, क्योंकि हमारा जो रास्ता है, वह सही है या नहीं है, इसका मूल्यांकन करने के लिए मनाना चाहिए.
हमारे विविध देश को बांधता है संविधान
पीएम मोदी ने ये भी कहा कि अच्छा होता कि आजादी के बाद ही 26 नवंबर को हर बार संविधान दिवस मनाना चाहिए था, जिससे ये पता चल सकता कि संविधान कैसे बनाया गया. हमारा संविधान हमारे विविध देश को बांधता है. कई बाधाओं के बाद इसका मसौदा तैयार किया गया और देश की रियासतों को एकजुट किया.
उस दिन भी हुआ था विरोध
बाबासाहेब अम्बेडकर की 125वीं जयंती थी, हम सबको लगा इससे बड़ा पवित्र अवसर क्या हो सकता है कि बाबासाहेब अम्बेडकर ने जो इस देश को जो नजराना दिया है, उसको हम हमेशा एक स्मृति ग्रंथ के रूप में याद करते रहें. पीएम मोदी ने कहा कि जब सदन में इस विषय पर मैं 2015 में बोल रहा था, बाबा साहेब अम्बेडकर की जयंती के अवसर पर इस कार्य की घोषणा करते समय तब भी विरोध आज नहीं हो रहा है उस दिन भी हुआ था, कि 26 नवंबर कहां से ले आए, क्यों कर रहे हो, क्या जरूरत थी. देश अब बाबा साहब का विरोध सुनने को तैयार नहीं.
महात्मा गांधी जी ने जो कर्तव्य के बीज बोए
पीएम मोदी ने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी जाइए, भारत एक ऐसी स्थिति की तरफ बढ़ रहा है जो लोकतंत्र के समर्थक लोगों के लिए चिंता की वजह होना चाहिए. वो है पारिवारिक पार्टियां. महात्मा गांधी जी ने जो कर्तव्य के बीज बोए थे, आजादी के बाद वो वट वृक्ष बन जाने चाहिए थे। लेकिन दुर्भाग्य से शासन व्यवस्था ऐसी बनी कि उसने अधिकार, अधिकार की बाते करके लोगों को एक अवस्था में रखा कि ‘हम हैं तो आपके अधिकार पूरे होंगे’. महात्मा गांधी ने आजादी के आंदोलन में आधिकारों को लिए लड़ते हुए भी, कर्तव्यों के लिए तैयार करने की कोशिश की थी. अच्छा होता अगर देश के आजाद होने के बाद कर्तव्य पर बल दिया गया होता.
सामाजिक आर्थिक परिवर्तन का दस्तावेज- ओम बिरला
संविधान दिवस कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि भारतीय संविधान मात्र क़ानूनी मार्गदर्शन की व्यवस्था तक ही सीमित नहीं है बल्कि सामाजिक आर्थिक परिवर्तन का दस्तावेज भी है. संविधान का निर्माण करने वाले महान संविधान मनुष्यों को मैं नमन करता हूं. उन्होंने कहा कि भारत का संविधान हमारे लिए ‘गीता’ के आधुनिक संस्करण की तरह है, जो हमें राष्ट्र के लिए काम करने के लिए प्रेरित करता है. अगर हममें से प्रत्येक देश के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध है तो हम ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का निर्माण कर सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला पार्लियामेंट के सेंट्रल हॉल में संविधान दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए.