भारतीय सेना ने चीन के अंदाज में दिया उसे जवाब, गलवान में फहराया तिरंगा
भारतीय सेना ने चीन के ही अंदाज में एक बार फिर चीन को जवाब दिया है. चीन की तरफ से की गई भड़काने वाली हरकत के बाद भारतीय ने सेना ने भी चीन को उसी के अंदाज में मुंह तोड़ जवाब दिया है. चीन के बाद भारतीय सेना ने भी नए साल के अवसर पर गलवान घाटी पर तिरंगा फहराया है. जिसकी तस्वीरें सेना की तरफ से मंगलवार को सार्वजनिक जारी की गई हैं.
पहले चीन ने फहराया था अपना झंडा
नए साल के अवसर पर झंडों के माध्यम से कूटनीतिक युद्ध का सहारा पहले चीन ने लिया था. पहले चीन ने नए साल के अवसर पर भारतीय सेना को उपहार भेंट किए थे. जिसके बाद यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि दोनों देशों के बीच गलवान में लंबे समय से जमी बर्फ नए साल के अवसर पर पिघलने जा रही है, लेकिन इसके बाद चीन की सेना ने भारतीय सेना को भड़काने का प्रयास करते हुए गलवान घाटी में अपने अधिकार वाले डेमचौक और हॉट स्िप्रंग वाले इलाके में अपना राष्ट्रीय झंडा फहरा दिया था. जिसके बाद चीन के सरकारी मीडिया ने उस वीडियो को सोशल मीडिया पर प्रसारित करते हुए चीनी सेना की तारीफ की थी. ग्लोबल टाईम्स ने लिखा था कि ”गलवान घाटी में एक इंज भी मत जमीन मत छोड़ो, 1 जनवरी को पीएलए के जवानों ने चीनी जनता को संदेश दिया”
चीनी झंडे की तस्वीर वायरल हाने के बाद राहुल गांधी ने पीएम मोदी से कहा था चुप्पी तोड़ो
चीनी सेना की तरफ से गलवान घाटी में अपने देश का राष्ट्रीय झंडा फहराए जाने का वीडियो वायरल होने के बाद इसको लेकर देश में राजनीतिक विवाद गहरा गया था. गलवान घाटी में चीनी झंडे को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी से सवाल किया था. राहुल गांधी ने एक ट्विट करते हुए कहा था कि ”गलवान में हमारा तिरंगा ही अच्छा लगता है, चीन को जवाब देना होगा, मोदी ची चुप्पी तोड़ो”.
दोनों देशों की तरफ से सीमा पर तैनात हैं 50 -50 हजार जवान
गलवान में चीन और भारतय सैनिकों के बीच बीते वर्ष झड़प का मामला सामने आया था. जिसमें भारतीय सैनिकों ने चीन के सैनिको को सबक सीखाया था, हालांकि इसमें भारत के सैनिक भी शहीद हुए थे. तब से दोनों देशों की सेना की तरफ से घाटी में 50 -50 हजार जवानों की तैनाती की गई है. वही गलवार के साथ ही अरुणाचल में भारत का चीन के साथ सीमा विवाद जारी है. चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय इलाकों के नाम बदल दिए थे. चीन ने बीते दिनों अरुणाचल प्रदेश के 15 स्थानों के लिए चीनी अक्षरों, तिब्बती और रोमन वर्णमाला के नामों की घोषणा की थी.